अर्थ के आधार पर शब्द के भेद




अर्थ के आधार पर शब्द के भेद


अर्थ के आधार पर शब्दों के निम्न भेद किए जाते हैं-

(1) एकार्थी शब्द : 

वे शब्द जिनका प्रयोग प्रायः एक ही अर्थ में होता है, एकार्थी शब्द कहलाते हैं।
जैसे दिन, धूप, लड़का, पहाड़, नदी।

(2) अनेकार्थी शब्द : 

वे शब्द, जिनके एक से अधिक अर्थ होते हैं, तथा उनका प्रयोग अलग-अलग अर्थ में किया जा सकता है।
जैसे : अज, अमृत, कर, सारंग, हरि आदि अनेकार्थी शब्द हैं।
 

(3) पर्यायवाची शब्द : 

वे शब्द, जिनका अर्थ समान होता है। अर्थात् एक ही शब्द के अनेक समानार्थी शब्द पर्यायवाची शब्द कहलाते हैं।
जैसे सूर्य, भानु, रवि, दिनेश, भास्कर आदि शब्द सूर्य के समानार्थी या पर्यायवाची शब्द हैं।

(4) विलोम शब्द : 

वे शब्द जो एक दूसरे का विपरीत अर्थ देते हैं, उन्हें विलोम या
विपरीतार्थक शब्द कहते हैं।
जैसे दिन-रात, जय-पराजय, आशा-निराशा, सुख-दुःख ।

(5) समोच्चारित शब्द या युग्म शब्द : 

वे शब्द जिनका उच्चारण समान प्रतीत होता
है किन्तु अर्थ बिल्कुल भिन्न होता है। ऐसे शब्दों को समोच्चारित शब्द, युग्म-शब्द या समरूपी
भिन्नार्थक शब्द कहते हैं ।
जैसे अनल-अनिल उच्चारण में समान है किन्तु अनल का अर्थ है- आग तथा अनिल का
अर्थ है-हवा ।

(6) शब्द समूह के लिए एक शब्द : 

वे शब्द जो किसी वाक्य, वाक्यांश या शब्द
समूह के लिए एक शब्द बन कर प्रयुक्त होते हैं उन्हें शब्द समूह के लिए प्रयुक्त एक शब्द' कहते हैं।
जैसे जिसका कोई शत्रु न हो अजातशत्रु ।

(7) समानार्थक प्रतीत होने वाले भिन्नार्थक शब्द : 

वे शब्द जो मोटे रूप में समान
अर्थ वाले प्रतीत होते हैं, किन्तु उनमें अर्थ का इतना सूक्ष्म अन्तर होता है कि उन्हें अलग-अलग
संदर्भ में ही प्रयुक्त करना पड़ता है। जैसे अस्त्र-शस्त्र । 'अस्त्र' शब्द उन हथियारों के लिए प्रयुक्त
होता है, जिन्हें फेंक कर वार किया जाता है।
जैसे- तीर, बम, बन्दूक, आदि; जबकि शस्त्र उन हथियारों को कहते हैं जिनका प्रयोग पास
में रखकर ही किया जाता है जैसे- लाठी, तलवार, चाकू, भाला आदि।

(8) समूहवाची शब्द :

 वे शब्द जो किसी एक समूह का बोध कराते हैं उन्हें समूहवाची
शब्द कहते हैं जैसे : गट्ठर (लकड़ी या पुस्तकों का) गुच्छा (चाबियाँ या अंगूर का) गिरोह (माफिया
या डाकुओं का), जोड़ा (जूतों का, हंसों का) जत्था (यात्रियों का, सत्याग्रहियों का), झुण्ड (पशुओं
का) टुकड़ी (सेना की), ढेर (अनाज का), पंक्ति (मनुष्यों, हंसों की) भीड़ (मनुष्यों की), माला (फूलों
की, मोतियों की), श्रृंखला (मानव, लौह) रेवड़ (भेड़ व बकरियों का) समूह (मनुष्यों का)

(9) ध्वन्यार्थक शब्द :

 वे ध्वन्यात्मक शब्द जिनका अर्थ ध्वनियों पर आधारित होता है।
इनको निम्न उपभेदों में बाँट सकते हैं-
(अ) पशुओं की बोलियाँ : किलकिलाना (बन्दर), गुर्राना, (चीता) दहाड़ना (शेर) भौंकना
(कुत्ता), रेंकना (गधा), हिनहिनाना (घोडा), डकारना (बैल) चिंघाड़ना (हाथी), फुंफकारना (साँप),
मिमियाना (भेड़, बकरी) रंभाना (गाय), गुंजारना (भौंरा), टर्राना (मेंढ़क), म्याऊ (बिल्ली) बलबलाना
(ऊँट), हुआ हुआ (गीदड़)!
(आ) पक्षियों की बोलियाँ : कूजना (बतख, कुरजां), कुकडुकूँ (मुर्गा) चीखना (बाज), हू
हू (उल्लू), काँव-काँव (कौवा) गुटरगूं (कबूतर), टें-टें (तोता), कूंहकना (कोयल), चहचहाना (चिड़िया)
मेयो, मेयो (मोर)
(ग) जड़ पदार्थों की ध्वनियाँ : कड़कना (बिजली), खटखटाना (दरवाजा), छुक-छुक
(रेलगाड़ी), टिक-टिक (घड़ी), गरजना (बादल), किटकिटाना (दाँत), खनखनाना (रुपया) टनटनाना
(घण्टा) फड़फड़ाना (पंख), खड़खड़ाना (पत्ते)
(घ) अन्य शब्द : लपलपाना, छलछलाना, लहलहाना, दमदमाना, चमचमाना, जगमगाना, फहराना,