संबंधबोधक
जो अव्यय किसी संज्ञा के बाद आकर उस संज्ञा का संबंध वाक्य के दूसरे शब्द से दिखाता है, उसे 'संबंधबोधक' कहते हैं।
जैसे—धन के बिना किसी का काम नहीं चलता।
नौकर गाँव तक गया।
रात भर जागना अच्छा नहीं होता।
यहाँ 'बिना', 'तक', 'भर' संबंधबोधक हैं।
इन वाक्यों में 'बिना' शब्द 'धन' संज्ञा का संबंध 'चलता' क्रिया से जोड़ता है। 'तक' 'गाँव' का संबंध 'गया' से और 'भर' 'रात' को 'जागना' क्रियार्थक संज्ञा से जोड़ता है।
संबंधबोधक के भेद
१. कालवाचक : आगे, पीछे, बाद, पहले, पूर्व, अनंतर, पश्चात, उपरांत, लगभग
२. स्थानवाचक : आगे, पीछे, नीचे, तले, सामने, पास, निकट, भीतर, समीप, नजदीक, यहाँ, बीच, बाहर, परे, दूर
३. दिशावाचक - ओर, तरफ, पार, आरपार, आसपास, प्रति
४. साधनवाचक : द्वारा, जरिए, हाथ, मारफत, बल, कर, जबानी, सहारे
५. हेतुवाचक — लिए, निमित्त, वास्ते, हेतु, खातिर, कारण, मारे, चलते
६. विषयवाचक-बाबत, निस्बत, विषय, नाम, लेखे, जान, भरोसे
७. व्यतिरेकवाचक — सिवा, अलावा, बिना, बगैर, अतिरिक्त, रहित
८. विनिमयवाचक-पलटे, बदले, जगह, एवज
९. सादृश्यवाचक — समान, तरह, भाँति, नाई, बराबर, तुल्य, योग्य, लायक, सदृश, अनुसार, अनुरूप, अनुकूल, देखादेखी, सरीखा, सा, ऐसा, जैसा, मुताबिक
१०. विरोधवाचक - विरुद्ध, खिलाफ, उलटे, विपरीत
११. सहचरवाचक—संग, साथ, समेत, सहित, पूर्वक, अधीन, स्वाधीन, वश
१२. संग्रहवाचक- तक, लौं, पर्यंत, भर, मात्र
१३. तुलनावाचक — अपेक्षा, बनिस्बत, आगे, सामने
